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Dry farming: शुष्क कृषि की नई तकनीक है किसानों के लिए वरदान

कम पानी में खेती के लिए आजकल कई तरह की तकनीकें ईजाद की जा रही हैं. तो ऐसे में हम आपको शुष्क कृषि की नई तकनीक के बारे में बतायेंगे...

डॉ. अलका जैन
Crop
Dry farming technology

भारत में आज भी खेती मानसून का जुआ है. यदि बरसात अच्छी होती है तो खेती भी मुस्कुरा उठती है और कम बरसात की स्थिति में हमारे किसान भाइयों के चेहरे मुरझा जाते हैं. कम पानी में खेती के लिए आजकल कई तरह की तकनीकें ईजाद की जा रही हैं.

क्योंकि भारत में कम बरसात वाले क्षेत्रों में खेती करना एक बहुत बड़ी चुनौती है. इन इलाकों में ग्राउंड वाटर लेवल बहुत कम होता है और ऐसे में यदि सिंचाई का पानी भी ना मिले तो जमीन उपजाऊ नहीं रह पाती. यह जल्दी ही बंजर हो जाती है. कुछ क्षेत्र इतनी दूर दराज वाले और कम पहुंच वाले होते हैं कि सरकार द्वारा मुहैया की गई सुविधाएं भी वहां नहीं पहुंच पाती.

ड्राई फार्मिंग से मिलेगी खेती में मदद

ऐसे में खेती की ड्राई फार्मिंग तकनीक अपनाकर अच्छी कमाई की जा सकती है. ड्राई फार्मिंग तकनीक में फसलों को जरूरत के हिसाब से पानी दिया जाता है. पानी की बर्बादी को पूरी तरह से रोक लिया जाता है. इसके लिए  उन्नत बीजों का प्रयोग किया जाता है ताकि नुकसान की संभावनाएं कम से कम रहें.

कैसे काम करती है ड्राई फार्मिंग तकनीक (How Dry Farming Technology Works)

शुष्क खेती की तकनीक में मैनेजमेंट की अहम भूमिका होती है जिसमें अत्यंत उन्नत तकनीक और कम पानी में उगने वाले बीजों का इस्तेमाल करने को प्राथमिकता दी जाती है.

मिट्टी में नमी को बांधने की होती है कोशिश

मिट्टी में नमी को बांधे रखने के लिए जुताई गहरी की जाती है. सतही खेती को प्राथमिकता दी जाती है और प्लास्टिक मल्चिंग (Plastic Mulching)  का प्रयोग किया जाता है. बारिश के पानी को इकट्ठा करके खेती करने से ड्राई फार्मिंग तकनीक और भी कारगर हो जाती है

वाटर शेड का किया जाता है उपयोग

वाटर शेड का उपयोग करके किसानों के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है. ड्राई फॉर्मिंग में ड्रिप सिंचाई यानी बूंद-बूंद सिंचाई की तकनीक बहुत महत्वपूर्ण है. इससे पानी की जरा भी बर्बादी नहीं होती और कम पानी में ज्यादा से ज्यादा फसल की सिंचाई हो पाती है.

मिश्रित खेती है लाभदायक

ड्राई फार्मिंग की तकनीक के अंतर्गत ही मिश्रित खेती को अपनाया जा सकता है क्योंकि इससे मिट्टी का उपजाऊपन भी बना रहता है और भूजल के स्तर का बेहतर उपयोग हो सकता है.

जैव उर्वरकों का उपयोग रहेगा कारगर

ड्राई फार्मिंग में यदि जैव उर्वरकों का प्रयोग किया जाए तो पैदावार में बढ़ोतरी बहुत अच्छी होती है. इस तकनीक में बीमारियों और खरपतवारों की रोकथाम के लिए निराई गुड़ाई और जैविक कीट नियंत्रण को अपनाया जाता है.

यह भी पढ़ें: कुल्फा की खेती से होगी अच्छी कमाई, जानिए इसके गुण

खेती के साथ पशुपालन भी रहता है उपयोगी

ड्राई फार्मिंग तकनीक के तहत कम पानी में खेती की जाती है. ड्राई फार्मिंग अपनाने वाले किसान अक्सर खेती के साथ पशुपालन भी अपनाते हैं. इसे  integrated forming system यानी एकीकृत कृषि प्रणाली कहा जाता है.

क्या रखे सावधानियां

इस तरह की तकनीक में रासायनिक खादों, उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम करना चाहिए क्योंकि यह मिट्टी की नमी को सोख लेते हैं.
English Summary: Dry farming technology is boon for farmers Published on: 23 July 2022, 05:22 PM IST

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