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हाईब्रिड मिर्च के पौधों को बीमारियों से बचाने के लिए इस्तेमाल करें साड़ी, जानें क्या है देशी क्रॉप कवर तकनीक

अगर आप मिर्ची की खेती (Chilli Cultivation) करते हैं, तो यह लेख आपके लिए पढ़ना बहुत ज़रूरी है. दरअसल, हमेशा देश के किसान मौसम की मार, फसलों पर कीट, रोग, मच्छर आदि के प्रकोप से परेशान रहते हैं. मगर अब किसानों को फसलों में रोग लगने की चिंता नहीं सताएगी, क्योंकि अब अपने खेतों को नए तरीके से कीट और रोग से बचा सकते हैं.

कंचन मौर्य
mirchi

अगर आप मिर्ची की खेती (Chilli Cultivation) करते हैं, तो यह लेख आपके लिए पढ़ना बहुत ज़रूरी है. दरअसल, हमेशा देश के किसान मौसम की मार, फसलों पर कीट, रोग, मच्छर आदि के प्रकोप से परेशान रहते हैं. मगर अब किसानों को फसलों में रोग लगने की चिंता नहीं सताएगी, क्योंकि अब अपने खेतों को नए तरीके से कीट और रोग से बचा सकते हैं.  आप मिर्ची के पौधे को देशी क्रॉप कवर ओढ़ाकर बचा सकते हैं. इससे विपरीत मौसम में भी परंपरागत तरीके से लगाए गए पौधे की तुलना में 100 प्रतिशत पौधे सुरक्षित रहेंगे. इससे कम लागत और अधिक गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त होगी. इस तकनीक का प्रयोगा मध्य प्रदेश के झाबुआ में रहने वाले युवा किसान ने किया है. यह किसान हाईब्रिड मिर्च के पौधे को बीमारियों से बचाने ले लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. आइए आपको इस तकनीक से जुड़ी जानकारी देते हैं.

मिर्च के पौधों को बीमारियों से बचाने वाली तकनीक

इस तकनीक को वैज्ञानिक भाषा में लो टनल पद्धति और देशी भाषा में फसल बचाव तकनीक कहा जाता है. इसका प्रयोग कर बरवेट के युवा किसान मिर्च की फसल पर आजमा रहे हैं. किसान का कहना है कि मौसम की मार, कीट, रोग और वायरस के प्रकोप से 4 बीघे में लगी हाईब्रिड टमाटर मिर्च बिना उत्पादन के नष्ट हो गई. इसके बाद उन्होंने उन्होंने नए तरीके से 1 बीघा खेत में मिर्च के पौधे लगाए हैं. इसके लिए उन्होंने देशी तकनीक का इस्तेमाल किया है.

chilli

देशी तकनीक से की खेती

किसान ने सबसे पहले खेत की हकाई-जुताई कर मल्चिंग ड्रिप का सिस्टम लगाया. इसके बाद मिर्ची के पौधे के लगाए है. इसके साथ ही तार बांधकर साड़ियों की लंबी पट्टी से पौधों को ढंक दिया है. इससे पौधों को अनुकूल वातावरण भी मिलता रहेगा, साथ ही मौसम की मार, कीट, रोग और वायरस आदि से भी सुरक्षा होगी.

पौधे रहेंगे सुरक्षित

 किसान का कहना है कि इस विधि का प्रयोग पहली बार किया है. अभी तक इस तकनीक को अपनाने से पौधे में किसी भी तरह की बीमारी नहीं लगेगी है. इतना ही नहीं, पौधों में एक समान बढ़वार हो रही है. अब ड्रिप द्वारा खाद दवाई फिर से दी जाएगी. लगभग 2 महीने तक पौधों को कवर से ढंककर रखा जाएगा. जब इसमें फूल आने लगेंगे, तब जाकर कवर को हटाया जाएगा.

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1 बीघा खेत में करीब 30 हजार का खर्चा

किसान की मानें, तो 1 बीघा खेत में हकाई-जुताई से लगाकर कम से कम 25 हजार रुपए तक का खर्च आता है. इसमें पुरानी साड़ी पर 8 हजार, मिर्च के पौधों पर 6 हजार, हकाई, जुताई, मल्चिंग, ड्रिप पर 12 हजार रुपए का खर्च हुआ है. यानी कुल मिलाकर 26 हजार रुपए तक का खर्च आ गया है. बता दें कि बाजार में रेडिमेड क्रॉप कवर का खर्च प्रति बीघा दोगुना हो जाता है. इसका खर्च आम किसान नहीं उठा सकता है.

 रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी

अक्सर बड़े किसान बाजार से क्रॉप कवर लगाकर खेती करते हैं. इससे पौधे में लगने वाले कीट और रोग जैसे कीट थ्रिप्स, माइटस, मच्छर आदि का प्रकोप नहीं होता है. इसी तरह देशी कॉप कवर साड़ियों का बनाया जाता है, जो छोटा किसान प्रयोग कर रहा है. इससे गर्मी, ठंड और बारिश का एक निश्चित तापमान बना रहता है.

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English Summary: Use desi crop cover technique to protect hybrid chilli plants from pests and diseases Published on: 18 September 2020, 01:13 PM IST

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