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Cow Breeds: दुनिया भर में पाई जाने वाली 10 प्रमुख गायों की नस्लें, विशेषताएं और उपयोगिता

Cow Breeds in World: दुनिया भर में गायों की कई नस्लें पाई जाती हैं, जो दूध और मांस उत्पादन के लिए अत्यंत उपयोगी होती हैं. इनमें होलस्टीन फ्रिसियन, जर्सी, ब्राह्मण, एंगस, हियरफोर्ड, आयरशायर, जेबू, सिमेंटल, चारोलिस, और ग्वेर्नसे प्रमुख हैं. किसान इन नस्लों की विशेषताओं के आधार पर अपने कृषि और डेयरी उद्देश्यों के लिए सही चुनाव कर सकते हैं और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

विवेक कुमार राय
विवेक कुमार राय
Cow Breeds in World
Zebu Cow

Cow Breeds in World: दुनिया भर में विभिन्न हिस्सों में कई प्रकार की गायों की नस्लें पाई जाती हैं, जो दूध, मांस, और अन्य कृषि उद्देश्यों के लिए अत्यंत उपयोगी होती हैं. प्रत्येक नस्ल की अपनी विशेषताएं और उपयोग होते हैं, जो उन्हें विशिष्ट बनाते हैं. ऐसे में, आइए जानते हैं दुनिया की 10 प्रमुख गायों की नस्लों (Cow Breeds in World) के बारे में, जैसे- होलस्टीन फ्रिसियन, जर्सी, ब्राह्मण, एंगस, हियरफोर्ड, आयरशायर, जेबू, सिमेंटल, चारोलिस और ग्वेर्नसे, जो डेयरी और मांस उत्पादन के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. किसान गायों की इन नस्लों की विशिष्टताओं के आधार पर अपने डेयरी और कृषि उद्देश्यों के लिए सही चुनाव कर सकते हैं और इससे बेहतर उत्पादन के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं-

दुनिया भर में पाई जाने वाली 10 प्रमुख गायों की नस्लें (Top 10 Types of Cows Found in Different Countries)

यहां 10 प्रमुख गायों की नस्लों के बारे में बताया गया है, जो अपनी विशेषताओं और उपयोगिता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं-

1. होलस्टीन फ्रिसियन गाय (Holstein Friesian Cow)

होलस्टीन-फ़्रीज़ियन गायें एक प्रमुख डेयरी नस्ल हैं जो अपने उच्च दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं. औसतन, एक होलस्टीन गाय प्रतिदिन 25-30 लीटर दूध देती है. नीदरलैंड से उत्पन्न ये गायें अपनी दक्षता और उत्पादकता के कारण विश्वभर में डेयरी फार्मिंग में एक प्रमुख नस्ल हैं. इनका रंग काले और सफेद धब्बों वाला होता है. यह नस्ल मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है.

2. जर्सी गाय (Jersey Cow)

जर्सी गाय यू.के. के जर्सी द्वीप से उत्पन्न हुई है. इनका रंग हल्का भूरा या लाल होता है. यह अन्य सभी नस्लों में सबसे छोटी है, जिससे इन्हें संभालना और खिलाना आसान होता है. इसके शरीर पर लाल धब्बे होते हैं. जर्सी गाय रोज़ 15 से 20 लीटर दूध देती है, जो बटर और चीज़ बनाने के लिए उपयुक्त होता है. यह गाय प्रति ब्यांत 3500-4000 लीटर दूध देती है, और इसके दूध में 5 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है. भारत में होशियारपुर, रोपड़ और गुरदासपुर मुख्य जिले हैं जहां जर्सी गायें पाई जाती हैं.

3. ब्राह्मण गाय (Brahman Cow)

भारत में उत्पन्न होने वाली गायों में से एक ब्राह्मण गाय भी है. इनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत होती है, जो इन्हें रोगों से बचाती है. इनका शरीर लंबा और मजबूत होता है, और माथे पर मोटी चर्बी की परत होती है. ब्राह्मण गाय का रंग सफेद या भूरा होता है. इनका दूध उत्पादन कम होता है, इसलिए इन्हें मुख्य रूप से कृषि कार्यों के लिए पाला जाता है.

4. एंगस गाय (Angus Cow)

एंगस गाय पूरी तरह से काले या लाल रंग की होती है. इसे पहले एबरडीन एंगस के नाम से जाना जाता था. इसकी उत्पत्ति उत्तरपूर्वी स्कॉटलैंड में हुई थी. यह नस्ल प्रमुख रूप से मांस उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. इनकी मांस उत्पादन क्षमता अत्यधिक होती है. एंगस गाय आकार में छोटी होती है लेकिन अन्य नस्लों की तुलना में इनका वजन अधिक होता है. ये बहुत ही शांत स्वभाव की होती हैं और इन्हें संभालना आसान होता है.

5. हियरफोर्ड गाय (Hereford Cow)

हियरफोर्ड गायें ताकतवर होती हैं और कठोर वातावरण में भी आसानी से रह सकती हैं. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत अच्छी होती है. हियरफोर्ड गाय का रंग लाल और सफेद होता है. इन गायों का पालन मुख्य रूप से मांस उत्पादन के लिए किया जाता है. इस नस्ल का पालन मुख्य रूप से ग्रेट ब्रिटेन के हियरफोर्ड और वॉर्सेस्टर काउंटी और उनके आसपास के क्षेत्रों में किया जाता है, हालांकि स्कॉटलैंड, आयरलैंड और वेल्स में भी यह नस्ल पाई जाती है.

6. आयरशायर गाय (Ayrshire Cow)

आयरशायर एक विदेशी नस्ल की गाय है, जो दुनियाभर में अपनी दुधारू क्षमता के लिए प्रसिद्ध है. इसकी उत्पत्ति स्कॉटलैंड में हुई थी. ये गायें लाल और सफेद रंग की होती हैं और सामान्य रूप से 20 से 35 लीटर तक दूध दे सकती हैं. ये 0 से 45 डिग्री तक के तापमान पर आसानी से रह सकती हैं, और तापमान का असर इनके दूध उत्पादन पर नहीं पड़ता. साथ ही, आयरशायर गायों का रखरखाव अधिक महंगा नहीं होता है.

7. जेबू गाय (Zebu Cow)

ज़ेबू नस्ल की गायें आमतौर पर लाल या भूरे रंग की होती हैं. इनके सींग भी होते हैं, त्वचा ढीली होती है, कान बड़े होते हैं और कंधों पर कूबड़ होता है. ज़ेबू नस्ल भारत में उत्पन्न हुई है और इसका उपयोग दूध, मांस और भार ढोने वाले जानवर के रूप में किया जाता है. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत उच्च होती है. भारत में इनका उपयोग आमतौर पर दूध और भार ढोने के लिए किया जाता है, जबकि ब्राजील और अन्य मांस उत्पादक देशों में इन्हें मुख्य रूप से गोमांस के लिए पाला जाता है.

8. सिमेंटल गाय (Simmental Cow)

सिमेंटल गाय का रंग सफेद और लाल धब्बों वाला होता है. इनका सिर सफेद होता है और अक्सर कंधों पर एक सफेद पट्टी होती है. इनकी आंखों के आसपास वर्णक होता है, जो तेज धूप से आंखों की समस्याओं को कम करने में मदद करता है. यह नस्ल सींग वाली या बिना सींग वाली हो सकती है. सिमेंटल नस्ल की गायें मांस और दूध दोनों के लिए पाली जाती हैं, और प्रति दिन 20-25 लीटर दूध देती हैं.

9. चारोलिस गाय (Charolais Cow)

चारोलिस गाय का रंग सफेद होता है और इनका शरीर मजबूत और मांसल होता है. चारोलिस गाय का थूथन गुलाबी होता है और खुर हल्के रंग के होते हैं. इस नस्ल की उत्पत्ति फ्रांस में हुई है और इसे दुनिया में मांस उत्पादन के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध माना जाता है. इनका वजन अन्य नस्लों की तुलना में अधिक होता है.

10. ग्वेर्नसे गाय (Guernsey Cow)

ग्वेर्नसे गाय हल्के भूरे या लाल और सफेद रंग की होती है. ग्वेर्नसे गाय एक दुधारू नस्ल है, और सालाना लगभग 6000 लीटर दूध देती है. इसका दूध उच्च गुणवत्ता का होता है, जिसमें बीटा-कैरोटीन की अधिक मात्रा होती है, जो इसे पीले रंग का बनाता है. ग्वेर्नसे गाय के दूध में 5% बटरफैट और 3.7% प्रोटीन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है.

ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि दुनिया की विभिन्न नस्लों की गायें अलग-अलग जलवायु और परिस्थितियों में अपनी अनूठी विशेषताओं के साथ पाई जाती हैं. कुछ गायें दुग्ध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं, तो कुछ मांस उत्पादन के लिए. इनके अनुकूलन की क्षमता और उपयोगिता इन्हें मानव जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाती हैं.

English Summary: high milk yielding cow breeds of cow in the world and their characteristics dairy farming Published on: 30 September 2024, 03:47 IST

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