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आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका

आम लगाने से लेकर पुराने बागों तक में कई सारे कीटों का हमला होता है लेकिन उसमें सबसे प्रमुख कीट ‘फल मक्खी’ है जिससे आम उत्पादक किसानों को भारी नुकसान होता है. फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) से 1 से लेकर 90 प्रतिशत या किसी किसी बाग में शत प्रतिशत तक आम को नुकसान पहुंचता है. वही फल मक्खी का प्रबंधन करने के लिए “फेरोमन ट्रैप” सबसे बढ़िया विकल्प है.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
How to control fruit fly pest on mango fruit with pheromone trap phal makhi kit ka prabandhan
आम की फसल में फल मक्खी कीट का प्रबंधन कैसे करें?

आम को फलों का राजा भी कहते हैं. वही विश्व का 54 प्रतिशत से अधिक आम का उत्पादन भारत में होता है. मौजूदा वक्त में हमारे देश में कुल 35 से ज्यादा आम के किस्मों की खेती व्यावसायिक दृष्टिकोण से हो रही है. आम में विटामिन सी, बीटा कैरोटीन एवं खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. वही आम लगाने से लेकर पुराने बागों तक में कई सारे कीटों का हमला होता है लेकिन उसमें सबसे प्रमुख कीट ‘फल मक्खी’ है जिससे आम उत्पादक किसानों को भारी नुकसान होता है. फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) से 1 से लेकर 90 प्रतिशत या किसी किसी बाग में शत प्रतिशत तक आम को नुकसान पहुंचता है. फल मक्खी की समस्या भारत समेत विश्व के लिए नासूर है. बिहार में पिछले साल फल मक्खी का प्रकोप कुछ ज्यादा ही देखने को मिला था, जिसकी वजह से करोड़ों रुपये के फल का नुकसान हुआ था.

पिछले साल की तरह इस साल भी वातावरण में नमी ज्यादा देखने को मिल रहा है, इस साल भी मई के महीने में बारिश लगातार अंतराल पर हो रही. इसलिए यह आवश्यक है कि फल मक्खी से बचाव के प्रति आम उत्पादक किसानों को जागरूक किया जाए अन्यथा भारी नुकसान होगा. सामान्यतः हर साल लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक फलों का नुकसान होता है. इस साल भी लगभग पिछले साल की तरह वातावरण की परिस्थितियां आम के फल मक्खी के लिए अनुकूल बन रही है. अप्रैल में जहां अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया था. वही मई के महीने में अब तक अधिकतम तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस के आसपास एवं अब तक 4 से 5 बार बारिश भी हो चुकी है जिसकी वजह से वातावरण में नमी पर्याप्त होने की वजह से फल मक्खी का आक्रमण बिहार के उन जिलों में ज्यादा देखने को मिल रहा है जहां पर इसके पहले लाल पट्टीधारी कीट से नुकसान हुआ था, जैसे- मुज़फ्फ़रपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, पश्चिमी चंपारण और शिवहर इत्यादि.

आम के फल मक्खी को कैसे पहचानें?

आम में फल मक्खी कीट का प्रकोप अप्रैल-मई के महीने में अधिक देखने को मिलता है. फल मक्खी का आकार घरेलू मक्खी के बराबर होता है, जिस पर पीली रंग की धारियां बनी होती हैं. वही यह आधे पके फलों पर या लगभग परिपक्व हो रहे फलों पर डंक मारती है जिससे फल फटकर सड़ने लगते हैं. कुछ लोग इसे बोरोन की कमी की वजह से फटना समझते हैं. यदि आम के छिलके पर कत्थई धब्बे दिखें या फल का रंग अजीब सा लगे तो समझ लेना चाहिए कि फल मक्खी का प्रकोप हो गया है. फल मक्खी का लार्वा फलों के लिए बहुत हानिकारक होता है. मक्खी के अंडे से निकला लार्वा या इल्ली गूदे को खाते हैं. इससे आम में सड़न की बदबू आने लगती है. प्रकोप अधिक होने पर फल जमीन में गिरकर नष्ट हो जाते हैं.

फल मक्खी के वयस्क घरेलू मक्खी के बराबर होते है जिन पर पीले रंग की धारियां होती हैं. फल मक्खी लगभग आम के आधे आकार के फल जब तैयार हो जाते हैं तो इसकी मादा 300 से ज्यादा अंडे अपने जीवनकाल में देती है. सफेद रंग के बिना पैर वाले इसे मैगट्स फल के गूदे को खाते हैं और फल को सड़ा देते हैं जिसके कारण फल गिरने लगते हैं. इसके लार्वा फिर वापस मिट्टी में चले जाते हैं और फिर से वयस्क के रूप में दिखाई देते हैं.

आम के फल मक्खी कीट का प्रबंधन फेरोमोन ट्रैप से कैसे करें?

कीटनाशकों के बजाय फल मक्खी का प्रबंधन करने के लिए “फेरोमन ट्रैप” सबसे बढ़िया विकल्प है. प्रति हेक्टेयर 15-20 फरोमैन ट्रैप लगाकर फ्रूट फ्लाई मक्खी को प्रबंधित किया जा सकता है. इन ट्रैपो को पेड़ की निचली शाखाओं पर 4 से 6 फिट की ऊंचाई पर बांधना चाहिए. एक ट्रैप से दूसरे ट्रैप के बीच में 35 मीटर की दूरी रखें. ट्रैप को कभी भी सीधे सूर्य की किरणों में नहीं रखें. ट्रैप को आम की बहुत घनी शाखाओं के बीच में नहीं बाधना चाहिए. ट्रैप बाग में स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए की कहा बाधा गया है. ट्रैप बांधने की अवस्था फल पकने से 60 दिन से पहले होना चाहिए और 6 से 10 सप्ताह के अंतराल पर नर की सुगंध बदलते रहना चाहिए. इसे रसायनों से भी प्रबंधित किया जा सकता है लेकिन फल के ऊपर रसायनों का प्रयोग करने से बचा जाना चाहिए.

बाग को साफ़ सुथरा रखकर भी इस मक्खी की उग्रता में कमी लाया जा सकता है. फल मक्खी से आक्रांत फल को एकत्र करके बाग से बाहर ले जाकर नष्ट कर देना चाहिए. फेरोमोन ट्रैप बाजार में भी मिलता है इसको खरीद कर भी आप प्रयोग कर सकते हैं. आप अपना ट्रैप स्वयं भी बना सकते हैं. इसको बनाने के लिए आपको 1 लीटर वाली इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक की बोतलों की आवश्यकता होगी. गर्दन पर छेद करने के लिए लोहे की छड़ गरम करें. ढक्कन पर एक छेद करें जो तार से गुजरने के लिए पर्याप्त हो. ढक्कन के छेद में एक तार डालें. चारा को बोतल के अंदर रखें. निचली पत्तियों के ठीक ऊपर पेड़ के छायादार भाग में जाल को लटका दें.

ट्रैप एक साधारण मेल एनीहिलेशन तकनीक (MAT) पर काम करता है. ट्रैप में एक छोटा प्लास्टिक कंटेनर होता है जिसमें प्लाईवुड का एक टुकड़ा होता है जिसे मिथाइल यूजेनॉल और डाइक्लोरोवोस से उपचारित किया जाता है जिसे पेड़ पर लटका दिया जाता है. यह जाल नर फल मक्खी को आकर्षित करता है. नर की अनुपस्थिति में मादा प्रजनन करने में विफल हो जाती है और इसलिए फल संक्रमण से मुक्त हो जाएगा. ट्रैप लगाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं है. इससे हमारे मित्र कीटों को कोई नुकसान नहीं है. इस तकनीक को अपनाने से होने वाले नुकसान में काफी कमी आई है. इसने संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों को आमों के निर्यात की सुविधा प्रदान की है, जिन्होंने पहले फल मक्खी के कारण भारतीय आमों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

फेरोमैन ट्रैप के अलावा फल मक्खी कीट का प्रबंधन कैसे करें?

फेरोमैन ट्रैप के अलावा भी फल मक्खी के प्रबंधन करने के कई उपाय हैं जिनसे फल मक्खी को प्रबंधित किया जा सकता है, जैसे-

  • निरंतर जमीन पर गिरे हुए फल मक्खी से संक्रमित फलों को इकट्ठा करें और उन्हें 60 सेंटीमीटर गहरे गड्ढों में गाड़ कर दफन कर दें या खौलते पानी में इन आक्रांत फलों को डाल के फल मक्खी के पिल्लू को मार डाले यह कार्य यदि सामूहिक रूप से सब किसान करेंगे तो फायदा बहुत ज्यादा होगा.
  • गर्मी के दिनों में बाग की गहरी जुताई करने से इस कीट के प्यूपा गर्म सूरज की किरणों के संपर्क में आ कर मर जाते है.
  • परिपक्व फलों की समय पर तुड़ाई की जानी चाहिए.
  • फलों को गर्म पानी के साथ 48 डिग्री सेल्सियस पर एक घंटे के लिए रखने से भी कीट मर जाता हैं.
  • कीट की उग्रता के अनुसार 15-20 फेरोमेन ट्रैप (मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप)/ हेक्टेयर स्थापित करें.
  • फलों के सेट होने के 45 दिन बाद कम से कम 15 दिनों के अंतराल पर तीन बार डेल्टामेथ्रिन 0.03 प्रतिशत का छिड़काव करने से भी इस कीट की उग्रता में कमी आती है.
  • लटकते हुए चौड़ी मुंह वाली 250 मिली लीटर क्षमता वाली बोतलों में 0.1 प्रतिशत मिथाइल यूजेनॉल (1 मिली/लीटर) और 0.05 प्रतिशत मैलाथियान 50EC (1 मिली/लीटर) के 100 मिली के साथ बैट ट्रैप का उपयोग करने से नर कीट की सख्या में भारी कमी आती है.
  • एक लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ और 2 मिली डेकामेथ्रिन 2.8EC मिलाकर जहर का चारा तैयार किया जा सकता है और साप्ताहिक अंतराल पर पेड़ के तने पर छिड़काव करने से भी फल मक्खी की उग्रता में भारी कमी आती है.
  • इसी घोल से आसपास वनस्पति पर छिड़काव करने से भी फल मक्खी की उग्रता में कमी आती है.
English Summary: How to control fruit fly pest on mango fruit with pheromone trap phal makhi kit ka prabandhan Published on: 14 May 2024, 11:03 IST

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