ख़ून सस्ता है मगर यूं न पिया जाये मुझे
ज़हर जब फैले तो फ़ासिद न कहा जाये मुझे
पेश है चाय जो चाहे पिये गर-ए-दिल-ए-सब्ज़
जो नहीं चाहता वह ज़हर…
वो यहाँ से चला गया है कहीं
आज शमशान की सी बू है यह
क्या कोई जिस्म जल रहा है कहीं
तू मुझे ढूँड, मैं तुझे ढूँडूँ
कोई हम में से रह गया है कहीं
जॉन एलिया
English Summary: Khushrang Shayar: John EliyaPublished on: 05 December 2018, 04:08 IST
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