ख़ून सस्ता है मगर यूं न पिया जाये मुझे
ज़हर जब फैले तो फ़ासिद न कहा जाये मुझे
पेश है चाय जो चाहे पिये गर-ए-दिल-ए-सब्ज़
जो नहीं चाहता वह ज़हर…
सबको जीवन देकर उसकी
तुलना नहीं महान से
तप- तप कर जलकर भी वो
शीतल है जहांन से
वो मगन रहता है अपनी धुन में
घंमड से न अभिमान से
कैसे मानें सबको अपना
ये सीखो किसान से !
गिरीश पांण्डे, कृषि जागरण
English Summary: Learn to live by the farmer!Published on: 18 October 2018, 05:09 IST
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