गर किसी को चाहता है दिल
वक्त-बेवक्त का न इंतज़ार कर
किनारे खड़ी ये कश्ती दूर निकल जाएगी
गर इश्क है तो इज़हार कर…
लुत्फ़ हासिल हमें उस जमाने में था,
अब तो चुभती सी है दोपहर आज़कल!
कम पढ़े थे मगर जां छिड़कते थे लोग,
ज़िंदगी मे वफ़ा की कसर आज़कल..!
पास सब कुछ तो है इस शहर में स्वतंत्र,
फिर किसे ढूंढती है नज़र आज़कल?
English Summary: Mere khwabo me mitti ka ghar aajkalPublished on: 25 April 2020, 07:59 IST
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