कपास का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्यों में कपास की फसल कीटों के गंभीर आक्रमण की चपेट में है। इस वजह से इस खरीफ सीजन के दौरान देश में फाइबर उत्पादकता में तेज गिरावट का डर पैदा हो गया है। अन्य फसल छोड़कर कपास की खेती का रुख करने वाले नए किसानों के लिए यह बहुत निराशाजनक है। जहां एक ओर पंजाब और हरियाणा में कपास के बड़े क्षेत्र में 'व्हाइटफ्लाइ' कीट का आक्रमण हुआ है, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात में खड़ी फसल पर 'पिंक बॉलवार्म' के हमले की सूचना है। यही वजह है कि विश्लेषकों ने चालू सीजन के दौरान कपास उत्पादन की वृद्धि के पूर्व में जताए गए अनुमान पर पुन: विचार करना शुरू कर दिया है।
कपास के रकबे में तीव्र वृद्धि की वजह से उत्पादन में 10 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया गया था लेकिन अब इसे घटाकर 4-5 प्रतिशत कहा जा रहा है। अगर यह अनुमान सच साबित होता है तो बेहतर आमदनी की आस में दलहन और तिलहन छोड़कर कपास की बुआई करने वाले किसानों को निश्चित ही निराश होना पड़ेगा, क्योंकि कपास की कम उपज के कारण उनकी आमदनी में गिरावट आने की आशंका है। इस वजह से किसानों के सोच-समझकर ज्यादा आमदनी वाली फसल अपनाने के बावजूद इस साल भी उनकी इच्छा अधूरी रहने की संभावना है।
कीटों की चपेट में आयी कपास की फसल
कपास का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्यों में कपास की फसल कीटों के गंभीर आक्रमण की चपेट में है। इस वजह से इस खरीफ सीजन के दौरान देश में फाइबर उत्पादकता में तेज गिरावट का डर पैदा हो गया है। अन्य फसल छोड़कर कपास की खेती का रुख करने वाले नए किसानों के लिए यह बहुत निराशाजनक है। जहां एक ओर पंजाब और हरियाणा में कपास के बड़े क्षेत्र में 'व्हाइटफ्लाइ' कीट का आक्रमण हुआ है, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात में खड़ी फसल पर 'पिंक बॉलवार्म' के हमले की सूचना है। यही वजह है कि विश्लेषकों ने चालू सीजन के दौरान कपास उत्पादन की वृद्धि के पूर्व में जताए गए अनुमान पर पुन: विचार करना शुरू कर दिया है।
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