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बर्बाद होने से बच जाएगी सीमा पर खड़ी फसल
अगर युद्ध होता तो सीमा पर लगी फसलों का गोलाबारी से नष्ट होना स्वाभाविक था इसी वजह से लखनपुर से लेकर पुंछ के मंडी तक किसान भयभीत थे। लेकिन अब हालात ऐसे नहीं है जिसके कारण किसानों ने राहत की सांस ली है। हालांकि कुछ दिन पहले बार्डर और एलओसी पर लगी धान और मक्का की फसल काटने की चुनौती किसानों के सामने खड़ी थी।
अगर युद्ध होता तो सीमा पर लगी फसलों का गोलाबारी से नष्ट होना स्वाभाविक था इसी वजह से लखनपुर से लेकर पुंछ के मंडी तक किसान भयभीत थे। लेकिन अब हालात ऐसे नहीं है जिसके कारण किसानों ने राहत की सांस ली है। हालांकि कुछ दिन पहले बार्डर और एलओसी पर लगी धान और मक्का की फसल काटने की चुनौती किसानों के सामने खड़ी थी। जानकारी के अनुसार जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के इंटरनेशनल बार्डर पर फेंसिंग के इस पार बार्डर की हद में करीब 30 हजार हैक्टेयर भूमि पर इस समय धान की फसल लगी है वो भी अधिकतर बासमती धान है।
वहीं राजोरी और पुंछ जिलों में एलओसी के पास करीब 20 हजार हैक्टेयर पर मक्के की फसल है। साथ ही कुछ क्षेत्रों में धान भी है। युद्ध के आसार में फसल चैपट होना स्वाभाविक था। परन्तु जैसे ही युद्ध के आसार कम होते जा रहे हैं किसानों को राहत मिलती नजर आ रही है।
English Summary: Cropped crop will be saved due to waste
Published on: 29 August 2017, 04:23 AM IST
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