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सरकार की इस पहल से नारियल की खेती करने वाले किसानों को होगा लाभ

नारियल (Coconut) एक ऐसा पेड़ है, जो करीब 80 साल तक हरा-भरा रहता है. इसकी फल के लिए मात्र एक बार निवेश करना होता है. इसको फस्र्ट फ्लोर फसल भी कहा जाता है. खास बात यह है कि नारियल (Coconut) पर सूखा, पाला, आंधी और गर्मी आदि का कोई भी असर नहीं पड़ता है.

कंचन मौर्य
Coconut

नारियल (Coconut) एक ऐसा पेड़ है, जो करीब 80 साल तक हरा-भरा रहता है. इसकी फल के लिए मात्र एक बार निवेश करना होता है. इसको फस्र्ट फ्लोर फसल भी कहा जाता है. खास बात यह है कि नारियल (Coconut) पर सूखा, पाला, आंधी और गर्मी आदि का कोई भी असर नहीं पड़ता है.

यह इतना उपयोगी होता है कि इसका पानी पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज हो सकता है. इसको देखते हुए देश में नारियल की खेती को और बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि किसानों को सही उत्पादन प्राप्त होकर सही दाम मिल पाए. इसके लिए कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला भी लिया गया है. इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूरी पढ़ते रहिए.

नारियल की खेती को लेकर लिए अहम फैसले

  • कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि नारियल एक्ट में संशोधन किया जाएगा.

  • इसके साथ ही दुनियाभर में नारियल का कारोबार बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.

  • इसके अलावा, नारियल बोर्ड में सीईओ (CEO) की नियुक्ति भी होगी.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि सभी जानते हैं कि हमारे देश में नारियल की खेती (Coconut Cultivation) का एक बड़ा क्षेत्र है. इसके उत्पादन बढ़ाकर किसानों को सहूलियतें दी जा सके, साथ ही उनकी उत्पादकता बढ़ाई जा सके, इसके लिए नारियल बोर्ड (Coconut Board) की स्थापना 1981 में की गई. इस नारियल बोर्ड के एक्ट में संसोधन करने जा रहे हैं.

नारियल बोर्ड में सीईओ की नियुक्ति

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि नारियल बोर्ड (Coconut Board) का अध्यक्ष गैर शासकीय व्यक्ति होगा. वह उसी परिक्षेत्र से होगा, जो फील्ड की गतिविधियों को अच्छी तरह समझ सके. इसके साथ ही एक्जीक्यूटिव पॉवर के लिए एक सीईओ होगा.

बोर्ड में हैं दो प्रकार के सदस्य

  • केंद्र सरकार द्वारा नामित कुछ राज्य, जो उसमें प्रतिनिधि के तौर में रहते हैं.

  • दूसरी श्रेणी के तहत जो बाकी राज्य बचते हैं, वो चक्रानुक्रम से उसमें जुड़ते जाते हैं और उनका कार्यकाल समाप्त होता जाता है.

इस बार लिया अहम फैसला

इस बार के लिए एक अहम फैसला लिया गया है कि केंद्र सरकार जिन 4 सदस्यों को नामित करती है, उन सदस्यों की संख्या 6 कर दी गई है. अब उसके सदस्य गुजरात और आंध्र प्रदेश से भी होंगे. नारियल की खेती (Coconut Cultivation) और किसान को लाभ पहुंचाने के लिए भारत के बाहर भी गतिविधि की आवश्यकता है. इस पर भी बोर्ड विचार कर सकता है. बता दें कि हमारे देश में नारियल की खेती करीब 1975000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है.

एमएसपी से जुड़ी जानकारी

आपको बता दें कि केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग से मूल्य समर्थन योजना (MPS) पर खोपरा की खरीद करती है. अगर उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जानकारी दी गई है कि फसल सत्र 2020-21 के दौरान कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से करीब 5,089 मीट्रिक टन खोपरा की खरीद की गई है. इसके लिए 3,961 किसानों को लाभान्वित करते हुए एमएसपी पर करीब 52 करोड़ 40 लाख रुपए की अदायगी की गई है.

कैसे काम करता है नारियल बोर्ड

आइए अब आपको बताते दें कि आखिर नारियल बोर्ड किस तरह काम करता है. सबसे पहले बता दें कि नारियल विकास बोर्ड सांविधिक निकाय है. यह देश में नारियल के उत्पादन और इसके उपयोग के एकीकृत विकास के लिए स्थापित किया गया है. इसे कृषि मंत्रालय और भारत सरकार के अधीन स्थापित किया है. इसकी मदद से नारियल उत्‍पादकता की वृद्धि और उत्पाद विविधीकरण पर ज़ोर दिया जाता है.

कब हुई स्थापना

नारियल बोर्ड की स्थापना 12 जनवरी 1981 को हुई. इसका मुख्यालय केरल के कोच्चि में स्थित है, साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय कर्नाटक के बैंगलूर, तमिलनाडु के चेन्नई और असम की गुवाहटी में स्थित है. इस बोर्ड के 6 राज्य केन्द्री हैं, जो उड़ीसा के भुबनेश्वर, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, बिहार के पटना, महाराष्ट्र के ठाणे, आंध्र प्रदेश के हैदराबाद और संघ शासित क्षेत्र अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित हैं.

बोर्ड के बीज उत्पादन फार्म

देश के विभिन्न भागों में बोर्ड के 9 प्रदर्शन सह बीज उत्पादन फार्म भी हैं. इसके अलावा, दिल्ली में बाज़ार विकास सह सूचना केन्द्र स्थापित है, तो वहीं बोर्ड ने केरल में आलुवा के पास वाष़क्कुोलम में प्रौद्योगिकी विकास केन्द्र भी स्थापित कर रखा है.

नारियल से जुड़ी जरूरी जानकारी 

देश में नारियल उत्पादन में जोरदार गिरावट देखने को मिली है. अगर सरकारी आंकड़ों को देखा जाए, तो 2018-19 में नारियल उत्पादन 10 प्रतिशत गिरकर 4 साल के निचले स्तर पर आ गया है. बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में नारियल का उत्पादन होता है. पिछले साल नारियल का उत्पादन कम हुआ, इसलिए इसकी कीमतें दोगुनी होकर 40 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2018-19 में नारियल का उत्पादन गिरकर 213.84 करोड़ इकाई पर आ गया, तो वहीं 2017-19 में 237.98 करोड़ इकाई रहा था. अगर 2014-15 की बात करें, तो पहली बार नारियल का उत्पादन 204.39 करोड़ इकाई रहा था.

English Summary: the central government made many big announcements related to coconut cultivation Published on: 17 July 2021, 08:25 AM IST

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