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जानें स्वयं सहायता समूह क्या है और यह कैसे कार्य करता है

ग्रामीण भारत में स्वयं सहायता समूह बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है, जिससे कई लोगों को रोजगार तथा ऋण की सुविधा मिल रही है, ऐसे में इस लेख से जानते हैं कि स्वयं सहायता समूह कैसे कार्य करता है..,.

KJ Staff

स्वयं सहायता समूह ऐसे ग्रामीण गरीब लोगों का समूह है, जिसकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति लगभग एक जैसी है. यह लोग अपनी इच्छा से एक समूह में संगठित होकर नियमित रूप से 10,20 या उससे ज्यादा रुपयों की बचत करके जरूरतमंद सदस्यों को ऋण का लेन-देन करते हैं. बीमारी के इलाज, कृषि कार्य, शादी व्यवसाय आदि के लिए हर सप्ताह या 15 दिन या हर माह बाद बैठक में बचत की राशि सदस्यों द्वारा जमा की जाती है तथा ऋण का लेन-देन किया जाता है. समूह में 20 से अधिक सदस्य नहीं होने चाहिए. समूह स्त्रियों के, पुरुषों या मिश्रित हो सकते हैं.

स्वयं सहायता समूह बनान के लाभः-

  • नियमित बचत द्वारा प्रत्येक सदस्य के आर्थिक स्तर में सुधार लाना.

  • छोटे ऋण का समूह से आसानी से प्राप्त होना. ऋण किसी भी कार्य के लिए हो सकता है.

  • आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के निराकरण में समूह द्वारा मार्गदर्शन.

  • विशेषज्ञों/सरकारी विभागों से साक्षरता, परिवार नियोजन तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी समूह के रूप में प्राप्त करना.

  • समूह के सहयोग की भावना आपसी विश्वास क्षमता तथा आत्मनिर्भरता का विकास.

  • विभिन्न प्रकार की विकास मदद व बैंक से ऋण मिलने में आसानी.

कार्यक्रम की विशेषताः-

  • एक तरफ से यह गरीबों का अपना छोटा बैंक है तथा इसको सही रूप से चलाने के लिए नियम बनाए गए हैं.

  • स्वमं सहायता समूह में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं.

  • समूह को सरकारी रूप से मान्यता है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक तथा अन्य बैंकों द्वारा इस कार्यक्रम को मंजूरी दी गई है.

समूह की नियमावलीः-

स्वयं सहायता समूह को अपने परिचालन के लिए एक नियमावली बनाना आवश्यक है. समूह को आईo डब्लूo डीo पीo योजना के माध्यम से नियोजित करना है. इस उद्देश्य के निम्न बिन्दु पर कार्यवाही की जानी है.

  • समूह का नामः समूह अपनी सहमति के आधार पर रख सकते हैं.

  • समूह के सदस्यः ग्राम पंचायत जल संग्रहण क्षेत्र में भूमिहीन/सम्पत्ति हीन गरीब/ कृषि श्रमिक/ महिला/चरवाह/ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति.

  • 18 वर्ष से कम आयु का सदस्य नहीं होना चाहिए.

  • सदस्यों का चयन समान विचार धारा, समान आर्थिक स्थिति व एक समान पहचान वाले लोगों में से करना चाहिए.

  • महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों आदि के लिए एक सामान्यता अलग से स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाना चाहिए.

  • समूह की नियमित बैठकें साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक होनी चाहिए.

  • बैठकों का आयोजन का दिन, समय, स्थान निश्चित होना चाहिए.

  • बचत की धनराशि सदस्यों के लिए समान अनुपात में होनी चाहिए.

  • बैंक खाता समूह के नाम से खोला जायेगा.

  • प्रबन्धकीय समिति में अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष का चयन समूह की खुली/नियमित बैठक में किया जाये.

  • बैंक खाते में संचालन के लिए दो पदाधिकारियों (अध्यक्ष / सचिव / कोषाध्यक्ष) को अधिकार देना चाहिए.

समूह संचालकों के दायित्वः-

समूह को आगे चलाने के लिए सभी सदस्यों की बराबर जिम्मेदारी होती है, लेकिन फिर भी सर्वसम्मति से चुने गये संचालको को निम्न बिन्दुओं के प्रति गंभीर रहना चाहिए. निम्न बिन्दुओं पर अन्तिम निर्णय समूह द्वारा ही लिया जाना है.

अध्यक्ष के कर्त्तव्यः-

  • बैठकों की अध्यक्षता करना.

  • समूह को प्रभावी निर्णय लेने में मदद करना.

  • सदस्यों को कर्ज देने में पारदर्शिता का माहौल बनाना.

सचिव के कर्त्तव्यः-

  • बैठक की कार्यवाही लिखना.

  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता करना तथा बैठकें आयोजित करना.

  • बैंक से सम्बन्धित कार्य व बचत एवं ऋण सम्बन्धित रिकार्ड रखने में कोषाध्य की मदद करना.

कोषाध्यक्ष के कर्त्तव्यः-

  • पैसे की सुरक्षा करना.

  • बचत, ऋण सम्बन्धित लेन-देन का हिसाब-किताब देखना.

  • सदस्यों की पासबुक में प्राप्त राशि की रसीद लिखना.

बचत खाता कब और कहाँ खुलवायें?

समूह के गठन के बाद जब समूह की बचत शुरू हो जाती है अपने नजदीक के वाणिज्यिक बैंक अथवा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में समूह का बचत खाता खुलवा लें.

समूह का बचत खाता बैंक शाखा में खुलने से बैंक से सम्पर्क बनेगा तथा समूह के गठन के छः महीने पश्चात् बैंक ऋकी की प्राप्ति में सुविधा होगी.

यह भी पढ़ें: फूड प्रोसेसिंग, एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों के लिए जारी हुआ 1655 करोड़ रुपए

आवश्यक निर्देशः-

  • समूह के सफल संचालन के लिए नियमित बैठक निश्चित तिथि/दिन को करें.

  • बैठक में सभी सदस्य बचत राशि को जमा करें.

  • जिन सदस्यों ने उधार लिया है उनसे ऋण किश्त की वसूली (ब्जाय सहित) करें.

  • जन सदस्यों को ऋण की आवश्यकता है, उन्हें सबकी सहमति से ऋण प्रदान करें.

  • सदस्य अपनी आकस्मिक आवश्यकताओं तथा आय बढ़ाने के कार्यक्रमों, साक्षरता, कृषि सम्बन्धी व आपनी समस्याओं पर विचार कर सकते हैं.

  • समूह के मतभेद निपटाने के लिए खुलकर और गहराई से चर्चा होनी चाहिए तथा आपस में बैठकर मुद्दे को समझकर निपटारा करना चाहिए.

लेखकः

विशाल यादव (शोध छात्र) प्रसार शिक्षा विभाग

आचार्य नo देo कृo प्रौo विo विo, कुमारगंज, अयोध्या

[email protected]

English Summary: Know what is swayam sahayata samuh and how it works Published on: 03 January 2023, 11:49 AM IST

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