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जानें ! पॉपकॉर्न दुनियाभर में कैसे मशहूर हुआ, और इसको बनाने का प्रशिक्षण कहाँ मिलता है ?

पॉपकॉर्न को दुनिया को सबसे मशहूर स्नैक माना जाता है. भारत में यह मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों के चलन के बाद कुछ ज्यादा ही मशहूर हो गया. हालाँकि इससे पहले यह अमेरिका समेत विश्व के कई देशों में पहले से मशहूर है. सबसे पहले इसका चलन भी अमेरिकी महाद्वीपों में हुआ. वहीं से यह दुनियाभर में चर्चा में आया. ऐसा माना जाता है कि साउथ अमेरिका रेड इंडियन ठिकानों पर इसका चलन था.

श्याम दांगी
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 पॉपकॉर्न को दुनिया को सबसे मशहूर स्नैक माना जाता है. भारत में यह मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों के चलन के बाद कुछ ज्यादा ही मशहूर हो गया. हालाँकि इससे पहले यह अमेरिका समेत विश्व के कई देशों में पहले से मशहूर है. सबसे पहले इसका चलन भी अमेरिकी महाद्वीपों में हुआ. वहीं से यह दुनियाभर में चर्चा में आया. ऐसा माना जाता है कि साउथ अमेरिका रेड इंडियन ठिकानों पर इसका चलन था.

अमेरिका में सबसे पहले भुना गया

आज तो दुनियाभर में पॉपकॉर्न का मशहूर है लेकिन सबसे पहले इसे अमेरिका में भुना और खाया गया था. एक किस्सा मशहूर है कि जब पुरातत्व वैज्ञानिकों को मक्का के पुराने दाने मिले तो उन्होंने उसे भुनने का प्रयास किया. जब हजार साल पुराने मक्का के दानों को गर्म किया गया तो वे फूट पड़े. बता दें कि ये करीब 200 डिग्री सेल्सियस तापमान फटती है तब इसमें से पॉपकॉर्न निकलता है. अमेरिका के मशहूर पुरातत्व वैज्ञानिक थॉमस हार्पर गुडस्पीड ने 1941 में छपी अपनी क़िताब प्लांट हंटर्स इन द एंडीज में पॉपकॉर्न के बारे में दिलचस्प किस्सा बयान किया है. उन्हें चिली के वैज्ञानिकों से तक़रीबन हजार साल पुराने पॉपकॉर्न के दाने प्राप्त हुए थे. एक दिन उन्हें ख़्याल आया कि क्यों इन्हें भुना जाए. हमने देखा कि तेज आंच पर वे दाने फटने लगे. उन्हें देखकर लग रहा था कि जैसे वे पिछले साल उगाई गई मक्का के दाने हो.  

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ज्वार-बाजरा से करें पॉपकॉर्न उत्पाद

भारत में भी पॉपकॉर्न का प्रचलन बढ़ गया है. मल्टीप्लेक्स के अलावा शॉपिंग मॉल्स समेत अन्य जगह पर पॉपकॉर्न आसानी से मिल जाता है. मक्का के अलावा इन दिनों देश में ज्वार और बाजरा से बने पॉपकॉर्न और उससे सम्बंधित उत्पाद बनाए जा रहे हैं. इसके लिए भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान बाकायदा ट्रैनिंग दे रहा है. भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान के साइंटिस्ट डॉ. संगप्पा का कहना है कि हम किसानों को कुछ दिनों का प्रशिक्षण देते हैं, जिसमें हम उन्हें दोबारा से बाजरा, ज्वार, रागी जैसे पौष्टिक अनाजों की फसल के लिए प्रोत्साहित करते हैं. बता दें कि इन मोटे अनाजों में गेंहूं और चावल की बजाय ज्यादा पोषण होता है. 

पॉपकॉर्न का प्रशिक्षण

डॉ. संगप्पा का कहना है कि पहले मक्का से बना पॉपकॉर्न मिलता था. हमने ज्वार, बाजरा से पॉपकॉर्न बनाया. वहीं कोदो, सांवा और कुटकी, जैसे मोटे अनाजों से बिस्किट, सेवई, फ्लेक्स जैसे कई प्रोडक्ट का निर्माण किया. वहीं गेहूं के आटे से बना पास्ता ही मार्केट में मिलता था,  लेकिन हमने अब बाजरे का पास्ता भी तैयार किया है. हम इसका किसानों को प्रशिक्षण देते हैं. 

ज्वार और बाजरे के पॉपकॉर्न की प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग के लिए यहां करें सपंर्क

डॉ. विलास ए टोनापी भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान राजेंद्र नगर, हैदाराबाद, तेलंगाना ईमेल : [email protected], director.[email protected] फोन : +91 - 040 - 2459 9301
डॉ. रवि कुमार फोन: 040-24599379

English Summary: popcorn biscuits flakes like products from super food millets Published on: 25 September 2020, 11:49 AM IST

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